
अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50% तक के टैरिफ से भारत के निर्यातकों को बड़ा नुकसान हुआ है। इनमें वह अतिरिक्त 25% शुल्क भी शामिल है जो रूस से तेल खरीदने के चलते लगाया गया। अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है, लेकिन ऊंचे शुल्क के कारण भारत का निर्यात लगातार दबाव में है। ऐसे में भारत अब नए बाज़ार तलाश रहा है और इस दिशा में रूस एक बड़ा विकल्प बनकर उभर रहा है।
भारत और रूस ने 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निश्चित किया है। इसी उद्देश्य से 4 और 5 दिसंबर को नई दिल्ली में भारत–रूस बिजनेस फोरम आयोजित किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह आयोजन ऐसे समय हो रहा है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आने वाले हैं।
🔸 रूस बनेगा नया बड़ा बाजार: भारतीय इंजीनियरिंग और फूड प्रोडक्ट्स पर फोकस
इस बिजनेस फोरम के जरिए भारतीय इंजीनियरिंग उत्पादों को रूसी बाजार में अधिक पहुंच दिलाने पर जोर होगा। साथ ही रूस भारतीय फूड आइटम्स—खासकर सी-फूड और समुद्री उत्पादों—की खरीद बढ़ाने में रुचि दिखा रहा है।
डिजिटल सेवाओं, फार्मा सेक्टर और मेडिकल उपकरणों में भी आपसी सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा होगी। रूसी कंपनियां भारतीय दवा निर्माताओं से बड़े स्तर पर खरीद बढ़ाना चाहती हैं।
🔸 स्वास्थ्य और फार्मा सेक्टर में नई साझेदारी
दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूत सहभागिता पर ध्यान दिया जाएगा—
- भारतीय दवाओं और मेडिकल उपकरणों की रूस में सप्लाई बढ़ाना
- रूस में भारतीय कंपनियों द्वारा दवाओं का स्थानीय उत्पादन
- संयुक्त रूप से अत्याधुनिक मेडिकल इक्विपमेंट और फार्मा यूनिट्स स्थापित करना
यह सहयोग दोनों देशों की एक–दूसरे के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।
🔸 भारतीय खाद्य उत्पादों के निर्यात का नया दरवाज़ा
रूसी बाजार में पहले से ही भारतीय स्नैक्स, वेजिटेबल करी, तैयार भोजन, दालें और मिठाइयों की अच्छी मांग है। हाल में—
- भारत ने मक्खन और मिल्क-फ़ैट की आपूर्ति शुरू की
- भारतीय अंगूरों का निर्यात बढ़ा
- पौष्टिक अनाज, पारंपरिक मिठाई और सी-फूड के लिए रूस में बड़ा अवसर मौजूद
भारत अब रूस को झींगा निर्यात शुरू करने पर भी काम कर रहा है।
🔸 अमेरिकी टैरिफ से जूझ रहे निर्यातकों को मिलेगी राहत
अमेरिका के कठोर टैरिफ नियमों के चलते भारतीय निर्यातक मुश्किल झेल रहे हैं। ऐसे में रूस के साथ बढ़ता व्यापार भारत को बड़ा वैकल्पिक बाज़ार उपलब्ध कराएगा।
दोस्त रूस के साथ बढ़ता आर्थिक सहयोग न केवल भारत के घाटे की भरपाई कर सकता है, बल्कि दोनों देशों को एक नई आर्थिक धार भी प्रदान कर सकता है।